TONK // मिथ्यात्व छोड़कर सम्यक दर्शन प्राप्त कर संयम धारण कर मनुष्य जीवन सार्थक करे

वर्धमान सागरटोंक नगर का सौभाग्य है इस सन 1970 में दीक्षा गुरु आचार्य धर्म सागर का वर्षायोग हुआ और सन 1971 में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा आचार्य संघ सानिध्य में हुई जिसमें भी हम मुनि अवस्था में शामिल थे 2025 में संघ का 55 वर्षों के बाद वर्षायोग टोंक नगर में हुआ और पारसनाथ भगवान का पंचकल्याण प्रतिष्ठा संपन्न हुई है। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा विगत 36 वर्षों में छोटे से छोटे ग्राम गंभीरा में भी हुई और बड़े से बड़े महानगर कोलकाता आदि में भी हुई है।

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा से आपने क्या प्राप्त किया है यह चिंतन का विषय है? आपकी ही तरह पारसनाथ भगवान भी संसारी प्राणी थे जिन्होंने मनुष्य भव में सम्यक दृष्टि होकर तीर्थंकर नाम कर्म प्रकृति का बंध कर भगवान बने हैं।उन्होंने विगत जन्मों में अनेक उपसर्गों को समता भाव से क्षमा से सहन किया। समता से शक्ति मिलती हैं ।
क्षमा से आत्मा को शक्ति मिलती हैं भगवान पार्श्वनाथ ने संयम धारण कर कर्मों का नष्ट कर सिद्धालय विराजित हुए। संसार में दुःख अधिक है सुख कम है, इसलिए संयम वैराग्य धारण करना चाहिए। यह मंगल देशना वात्सल्य वारिधी 108 आचार्य वर्धमानसागर महाराज ने पंच कल्याणक प्रतिष्ठा के मोक्ष कल्याणक अवसर पर धर्म सभा में प्रकट की।
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टोक से अशोक शर्मा की रिपोर्ट
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