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BARAN // जो आगे बढ़ने नहीं देती।” मुनि अनुपम सागर 

BARAN // दृष्टि, भक्ति और जागृति—मुनिश्री के उपदेशों से बारां में छाई आध्यात्मिक तरंग छोटी सोच पैर में मोच की तरह होती है

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BARAN – बारां  में  आध्यात्मिकता, भक्ति और दिव्यता के अद्भुत संगम के बीच बारां नगरी के जैन जोड़ला मंदिर में अत्यंत पावन अवसर उपस्थित हुआ। पट्टाचार्य आचार्य  विशुद्ध सागर महाराज के आज्ञानुवर्ती एवं आदित्य सागर  के सहचर मुनि अनुपम सागर महाराज तथा मुनि विमोह सागर महाराज ससंघ के मंगल विहार से मंदिर परिसर भक्ति से सराबोर हो उठा।प्रातः 7:30 बजे समाजजनों द्वारा 108 कलशों से शांतिधारा एवं अभिषेक का पावन आयोजन किया गया। मुनि के मंत्रोच्चार के साथ सम्पन्न हुई शांतिधारा ने पूरे परिसर में गहन आध्यात्मिक ऊर्जा प्रसारित की। भक्तों ने इसे जीवन का सौभाग्य कहा। मंगल प्रवचन — धर्म, सत्य और आत्मजागरण का संदेश मुनि विमोह सागर महाराज का प्रेरक संदेश अपने प्रवचन में मुनि  ने कहा कि  मानव भटकाव में जी रहा है।

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BARAN – गर्भावस्था से ही मोबाइल का प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है। मोबाइल उपयोगी है, परंतु सभी के लिए नहीं—व्यापारी के लिए साधन है, पर गलत उपयोग हानिकारक बन जाता है। उन्होंने कहा: “घर में एक कर ( कीड़ा) लग जाए तो हम घबरा जाते हैं, लेकिन घर में एक नौकर लग जाए तो क्यों नहीं घबराते?” हम मशीनों पर निर्भर हो गए हैं, इसलिए बीमारियाँ बढ़ रही हैं।” “स्वस्थ रहने के लिए अपने हाथ–पैर स्वयं चलाएँ, दूसरों पर निर्भरता बीमारी को जन्म देती है।” मुनि ने जीवन में आत्मनिर्भरता, श्रम और संयम को अनिवार्य बताया। मुनि ने कहा कि अबोध से बोध की ओर ले जाने वाली जिन्देशना ही मानव को जिनत्व प्रदान करती है। उन्होंने दृष्टि की शुद्धि, आत्मचिंतन और कर्म की महत्ता पर प्रकाश डाला। “हम दूसरों पर दृष्टि रखते हैं, पर स्वयं पर चिंतन करने का समय नहीं निकालते।

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BARAN – “बच्चे–बच्चियों की शादी में वसीयत नहीं, काबिलियत देखें। काबिलियत होगी तो वसीयत स्वयं बन जाएगी।” “पुण्य की कमाई में खुश होते हो, पर पाप की कमाई पर रोते क्यों हो?” “लोग कहते हैं एक मछली तालाब को गंदा कर देती है, पर यही अर्थ यह भी है कि एक मछली तालाब को साफ भी कर सकती है।” मुनि ने कहा: “गर्मी उसी की होती है जिसके भीतर जुनून होता है—चाहे वह ऊन की गर्मी हो या जून की गर्मी हो, शरीर की गर्मी हो या खून की गर्मी।” “देव–शाश्वत–गुरु के प्रति जुनून ही जीवन की सबसे बड़ी ऊर्जा है। छोटी सोच पैर में मोच की तरह होती है, जो आगे बढ़ने नहीं देती।” प्रवचन के उपरांत मुनिश्री ससंघ की आहार चर्या का शोभग्य राजकुमार जी उमेश जी सोनी परिवार व दीपचंद जी धनेश कुमार गोधा परिवार को प्राप्त हुवा ,इस अवसर परबड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने उपस्थित होकर अपने जीवन को धन्य किया। सभी ने आहार-चर्या का साक्षी बनकर अपरिमित पुण्य अर्जित किया। समाज अध्यक्ष विनोद जैन, मंत्री अनिल जैन, प्रवक्ता अमित जैन, संजय जैन, अंकित जैन, धनेश जैन, जिनेश जैन, शशिकांत जैन, विवेक जैन, घिसा लाल जैन ने सभी श्रद्धालुओं से विनम्र निवेदन किया है कि आगामी दिनों में आयोजित होने वाले सभी धार्मिक कार्यक्रमों में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर धर्म–लाभ तथा पुण्य-संचय करें।

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बारां से राजेश कुमार की रिपोर्ट

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